भारत का "काला धन" यानी Black Money..?
"काला धन" यानी Black Money । क्या है ये ब्लैक मनी ? टैक्निकली वो पैसा जिस पर सरकार को टैक्स ना दिया गया हो । बीते वर्षों से काले धन पर हमेशा बहुत शोर होता रहा है । इधर पिछले २-३ वर्षों से इस काले धन के बादल इस क़दर छाये हुए हैं कि मानों अब बरसेंगे और मानों मेरे भारत का बच्चा-बच्चा लखपति हो जायेगा । मगर ये काले धन का मानसून शायद बरसने के लिये बना ही नहीं है ।
कितने ही महापुरूषों ने इस पर आन्दोलन किया है और बहुत तरीक़े का हौ-हल्ला मचाया है । कितने ही साधारण पुरूष इस काले धन का नाम जप-जप कर महापुरूष की पदवी पा गये । सरकार के ख़िलाफ़, ओपोजिशन पार्टियों ने इस पर जम कर प्रचार किया है और एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाकर जनता से वोट भी हासिल किये हैं । सरकारें बनी भी हैं , बदली भी हैं पर ये काला धन कभी सफ़ेद नहीं हो पाया है । इस काले धन की गंगा को लाने वाला कोई भागीरथी नहीं आया । इस बार के लोकसभा इलेक्शन के प्रचार में ओपोजिशन पार्टी के नेता ने जनता से वादा किया कि हम सरकार बनने के बाद १५० दिनों के भीतर विदेशों में जमा देश का सारा काला धन वापस ले आयेंगे ।
मैंने इसके क़ानूनी पहलुओं को जब पढ़ा और समझने की कोशिश की तो मैं ये समझ पाया की ये पैसा वापस लाना और वो भी क़ानूनन कोई खाला जी का घर नहीं है । क़ानूनन बहुत सारी पेचीदगियाँ हैं और इतनी उलझी हुई कि उन पर सिर्फ़ राजनीति की दुकान ही चलाई जा सकती है और वो चल भी रही है । क़ानूनन इस काले धन को सफ़ेद करना बहुत मुश्किल है और ऐसे कहूँ कि नामुमकिन से बस थोड़ा ही कम । हो सकता है कि मेरी जानकारी पूरी ना हो और शायद ये वापस आ भी सकता हो लेकिन ये जानकारी भी विषय के पंडितों द्वारा ही दी गई है ।
ये नामुमकिन से थोड़ा कम मैंने इसलिये कहा क्यूँकि एक बात मैं तय करके कह सकता हूँ कि काले धन को लाने के लिये केवल और केवल सरकार और प्रशासन में सच्ची नियत और इच्छाशक्ति का होना अति आवश्यक है ।
क़ानूनन दो तरीक़े से काले धन को सफ़ेद करके वापस लाया जा सकता है । पहला, उन लोगों पर वित्तीय अपराध का केस दर्ज करना होगा जिनका ये पैसा है और साबित करना होगा कि ये ब्लैक मनी है यानी इस पर टैक्स नहीं दिया गया है । दूसरा, उन लोगों के नाम सार्वजनिक करने होंगे तथा उस देश और बैंक (जहाँ भी काला धन जमा है) के प्रशासन को तकनीकी रूप से ये बताना होगा कि जो धन उनके पास जमा है, वह ब्लैक मनी के दायरे में आता है ।
अब सवाल बचा रह जाता है वो ये कि क्या सरकार ये कर पायेगी ? मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि अमेरिका तक यह नहीं कर पाया था जब 2008 में अमेरिका पर घोर आर्थिक संकट आया था । भारत के लिये यह करना और भी मुश्किल होगा !!
अब कहने को तो इस सरकार ने SIT का गठन कर दिया है, पर सबसे अहम बात ये है कि SIT को कितने अधिकार दिये जाते हैं ? क्या SIT किसी के ख़िलाफ़ वित्तीय अपराध का केस कर दर्ज सकती है ? दूसरे देशों की जाँच एजेंसीयों से सीधे बिना सरकार की इजाज़त के सम्पर्क कर सकती है ? इस तरह के कितने ही ऐसे अधिकार और स्वायतता दी जायेगी ? या फिर हमेशा की क़हर ये समझा जाये कि सरकार SIT बनाकर अब अगले 5 या 10 साल तक राज करने वाली है और फिर यह ब्लैक मनी २-३ गुना और बढ़ने वाली है !!!
काफ़ी सवाल हैं, देखते हैं क्या होता है ? सोचिये-सोचिये और बस सोचते रहिये.....