Overblog
Follow this blog Administration + Create my blog

social

"सीख जरूरी....मगर किसको??"

"सीख जरूरी....मगर किसको??"

"सीख की ज़रूरी......मगर किसको ??" आधी नींद भरी आँखों से सुबह अख़बार उठाओ तो आँख पूरी तरह खुलने से पहले ही या तो नम हो जाती हैं या तड़प और ग़ुस्से से लाल हो जाती हैं ? दिन भर की थकन से चुर दिमाग़ और शरीर, और ज़्यादा ही थक जाता है जब देश-दुनिया का हाल जानने...

Read more

"वो लट्टू और कँचे"

"वो लट्टू और कँचे"

"वो लट्टू और कँचे" कहते हैं परिवर्तन, प्रकृति का नियम है ! ज़िंदगी की जद्दोजहद में जीवन कहाँ छूट जाता है इस बात का एहसास तक नहीं होता । ज़िंदगी अपनी रफ़्तार से चलती चली जाती है और प्रकृति अपने नियमानुसार परिवर्तन किये जाती है । कुछ परिवर्तन हमें रास आते...

Read more

"वो भी चलते हैं अब तो तेवर बदलकर........!!"

"वो भी चलते हैं अब तो तेवर बदलकर........!!"

कभी-कभी मेरे आस-पास घट रही घटनाआें से और समाज के रूप को देख सुनकर मैं अपने अंदर ही अंदर बहुत परेशान हो जाता हूँ । ऐसी ही घटना अभी मेरे सामने आई, वैसे देखने - सुनने में कुछ भी नया सा नहीं है । लेकिन फिर भी कुछ चीज़ें नई ना होते हुए भी मुझे और शायद आपको...

Read more

"बड़ी भावनाओं से सींचा था जिस पेड़ को कभी....!!"

"बड़ी भावनाओं से सींचा था जिस पेड़ को कभी....!!"

"बड़ी भावनाओं से सींचा था जिस पेड़ को कभी, उसी पर लटकी मिली बाप को खोई बेटी अभी" आज-कल चारों तरफ़ एक शब्द की गूँज है "विकास...विकास ... देश का विकास", राजनेता और पूँजीपति अपने-अपने तरीक़े इस शब्द का भरपेट इस्तेमाल कर रहे हैं और अपना उल्लू सीधा कर रहे...

Read more