"वो लट्टू और कँचे"

Published on by Hemant Kr. Atri

"वो लट्टू और कँचे"

"वो लट्टू और कँचे"

कहते हैं परिवर्तन, प्रकृति का नियम है ! ज़िंदगी की जद्दोजहद में जीवन कहाँ छूट जाता है इस बात का एहसास तक नहीं होता । ज़िंदगी अपनी रफ़्तार से चलती चली जाती है और प्रकृति अपने नियमानुसार परिवर्तन किये जाती है । कुछ परिवर्तन हमें रास आते हैं, कुछ नहीं । बदलते वक़्त में सबकुछ बदलता है । जीवन जीने की शैली बदल जाती है और जीवन की पृाथमिकतायें बदल जाती हैं । बचपन बदल जाता है और जवानी बदल जाती है । जीवन का पूरा रूप बदल जाता है । इसी को हम "जनरेशन ग़ैप" बोलते हैं । पिछले कुछ दशकों में ये बदलाव बहुत तेज़ी से आया । देश-दुनिया में एक लहर आयी जिसे टेक्नोलॉजी रिवोल्यूशन कहना लेश मातृ भी ग़लत ना होगा । इस लहर ने हमें बहुत कुछ अच्छा दिया । इसकी वजह से हज़ारों-लाखों मील की दूरियाँ भी दूरियाँ नहीं रही ।

इसी टैक्नोलोजी की वजह से चिट्ठियाँ, ई-मेल में बदल गईं । घर में एक कोने की टेबल पर रखे टेलिफ़ोन मोबाईल में बदल कर लोगों की बैक पाॅकेट में उनके साथ-साथ घूमने लगे । और अब तो ये आलम है कि इस एक मोबाईल में आपकी पूरी दुनिया ही समा चुकी है । फ़ेस बुक, टविटर, व्हटस ऐप, इत्यादि जैसी टैक्नोलोजी के चलते पूरी दुनिया सिमटकर बहुत छोटी सी और हर किसी की पहुँच में हो गई । दोस्त-रिश्तेदार लगातार हर वक़्त संपर्क में रहने लगे हैं । देश-दुनिया की कोई भी जानकारी केवल एक क्लिक की दूरी मातृ में सिमट कर रह गई । सबकुछ बहुत आसान और सहज सा हो गया है ।

लेकिन तस्वीर के हमेशा दो रूख होते हैं, एक रंगीन और दूसरा सफ़ेद । इसी तरह टैक्नोलोजी के विकास की तस्वीर का एक रूख रंगीन है तो दूसरा रंगहीन भी है । इन सब साधनों और यंत्रों से जहाँ एक तरफ़ आदमी की ज़िंदगी बहुत आसान हुई है, वहीं कुछ चिन्तायें भी जगी हैं । आजकल तक़रीबन हर पेरेंटस को आपने कहते सुना ही होगा कि हमारे बच्चे तो हर वक़्त मोबाईल, कंप्यूटर, फ़ेस बुक में ही लगे रहते हैं या हमारे बच्चों को मोबाईल की हर अप्लिकेशन की हमसे भी ज़्यादा जानकारी है ।

"एक बड़ी मोबाईल नेटवर्किंग कंपनी का एक विज्ञापन टीवी पर देखा, जिसमें एक पिता अपने बेटे को बिजली बिल जमा ना कराने के लिये डाँटते हैं और लड़का कानों में ईयर फ़ोन लगाये हुए, सोफ़े पर लेटे-लेटे मोबाईल से पैसे भर देता है और अपने पिता को बोलता है "Grow Up Dad". उस लड़के को बहुत ही झल्ला, अपनी ही दुनिया में मस्त और आलसी सा दिखाया गया है ।" यही है इस टैक्नोलोजी नामक रंगीन तस्वीर का दूसरा रूख ?

एक वक़्त था जब बच्चे सारा दिन मुहल्ले की गलियों में हुड़दंग मचाते थे, खेलते क़ुदते नज़र आते थे और मुहल्ले भर को बच्चों की छुट्टी का और उनके होने का एहसास होता था । खेल भी ऐसे-ऐसे होते थे : कँचे, लट्टू , पकड़ा-पकड़ी, क्रिकेट , खो-खो.... इत्यादि ना जाने ऐसे ही कितने खेल जिनको लाख चाहने के बाद भी शोर किये बिना खेला ही नहीं जा सकता । हर तरफ़ चहल-पहल और मेला सा लगा रहता था । इन्हीं खोलों को खेलते-खेलते बच्चों में एक -दूसरे की मदद की भावना आती थी , मिल-बाँटकर खेलने -खाने की भावना आती थी और बड़ों के लिये आदर-भाव पलता था । टीम पूरी करने के लिये सब मिलकर खेलते थे तो टीम भावना पैदा होती थी । ऊँच-नीच और ग़रीब-अमीर की कोई भावना नहीं होती थी । इस तरह बचपन के साथ-साथ एहसास पलते थे और प्यार पलता था । शारीर भी सुदृढ़ और एक्टिव रहता था ।

अब ये सब कहीं खो गया है, जिसेदेखो सब अपनी ही दुनिया में लीन हैं । ना तो पार्कों में , ना गलियों में अब कोई खेलता नहीं दिखता । दिखते हैं तो बस मोबाईल पर बात करते, मोबाईल पर गेम खेलते ....? बच्चों की ज़िंदगी भी किसी कारपोरेट एम्पलाई से कम नहीं रही । घर से स्कूल, स्कूल से घर, घर से ट्यूशन और ट्यूशन से घर की भागदौड़ में ही दिन ख़त्म हो जाता है , जो थोड़ा बहुत समय बचता है तो टीवी, फ़ेसबुक ... में ग़ायब ??

कैसा होगा आने वाला कल, शायद अच्छा या शायद ख़राब ? कुछ भी कहना या अनुमान लगाना मुश्किल है । पर एक बात तय है इस सबके ज़िम्मेदार उतने बच्चे नहीं हैं जितने माँ-बाप हैं । सोचिये-सोचिये , और कोशिश कीजिये कि कुछ तो बचपन जैसा बचपन जी सकें हमारी आने वाली नस्लें ।

"खेला करते थे जब मिट्टी में मिट्टी होकर बच्चे,

एहसास भी पला करते थे, बचपन के साथ-साथ..!!"

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H
SUPERB
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V
A very nice thought to think upon. <br /> Kaash hum pahle jaise ho paate. Aaj kal competion itna badh gaya ki updated rahna behad mushkil aur zaruri ho gaya hai. <br /> Oopar se bewaqt ka mausam.Pahle har mausam samay par aata tha. Garmi Sardi Barsaat Vasant sab. Ab 4 mahine sardi aur 8 mahine Garmi padti hai. Nahaate nahaate paseene tapakne lagte hain. <br /> Ye badalti prakarti aur bewajah ka weather 1 reason hai ghar se na nikalna. <br /> But yes its a point to think upon.
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R
Very touchy . Padhtey padhtey apney bachpan ki galiyon m kho gayi.<br /> Very nice.
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V
Please Laut aayiye... :-)